इन गद्दारों के कारण हुई भगत सिंह, राजगुरु ओर सुखदेव को फांसी। - LS Home Tech

Sunday, March 24, 2019

इन गद्दारों के कारण हुई भगत सिंह, राजगुरु ओर सुखदेव को फांसी।

दोस्तों आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ देश के उन गद्दारों की कहानी जिन्होंने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त के खिलाफ कोर्ट में गवाही दी थी, जिसके बाद इन वीरों को फांसी की सजा हुआ थी। ज्यादातर लोगों को नहीं पता है कि भगत सिंह के खिलाफ विरुद्ध गवाही देने वाले दो प्रमुख व्यक्ति कौन थे, वैसे तो इस गवाही में और नाम भी शामिल हैं पर आज हम इन्ही दो गद्दारों की जिक्र करेंगे। जब दिल्ली में भगत सिंह पर अंग्रेजों की अदालत में असेंबली में बम फेंकने का मुकद्दमा चला था। तब भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त के खिलाफ शोभा सिंह और शादी लाल ने गवाही दी थी। 

आज़ादी के दीवानों क विरुद्ध ये लोग गवाह थे ।
1. शोभा सिंह/Shobha Singh
2. शादी लाल /Shadi LAl
3. दिवान चन्द फ़ोगाट/Diwan Chand Fogat
4. जीवन लाल/Jivan Lal

भगत सिंह, राजगुरु ओर सुखदेव


इस दोनों गद्दारों को अंग्रेजों को तरफ से अपने देश से की गई इस गद्दारी का इनाम भी मिला था। इन दोनों को अंग्रेजों की और से न सिर्फ सर की उपाधि दी गई बल्कि और भी कई दूसरे फायदे मिले थे।
  • शोभा सिंह को दिल्ली में बेशुमार दौलत और करोड़ों के सरकारी निर्माण कार्यों के ठेके मिले, आज कनॉट प्लेस में शोभा सिंह स्कूल में कतार लगती है बच्चो को प्रवेश नहीं मिलता है। 
  • शादी लाल को बागपत के नजदीक ब्रिटिश हुकूमत की और से अपार संपत्ति मिली थी। आज भी श्यामली में शादी लाल के वंशजों के पास चीनी मिल और शराब के कारखाने है।
  • शादीलाल और शोभा सिंह, भारतीय जनता कि नजरों मे सदा घृणा के पात्र थे और घृणा के पात्र हैं और हमेशा घृणा के पात्र ही रहेंगे। 
  • गवाही के बाद शादी लाल को गांव वालों का ऐसा तिरस्कार झेलना पड़ा था कि उसके मरने पर किसी भी दुकानदार ने उसके लिए अपनी दुकान से कफन का कपड़ा तक नहीं दिया था।
  • शादी लाल के लड़के उसका कफ़न दिल्ली से खरीद कर लाए तब जाकर उसका अंतिम संस्कार हो पाया था।
  • शोभा सिंह बहुत खुशनसीब रहा। उसे और उसके पिता सुजान सिंह (जिसके नाम पर आज पंजाब में कोट सुजान सिंह गांव और दिल्ली में सुजान सिंह पार्क है) को राजधानी दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में हजारों एकड़ जमीन मिली और खूब पैसा भी मिला था।
  • शोभा सिंह के बेटे खुशवंत सिंह/Khushwant Singh है, जिहोने शौकिया तौर पर पत्रकारिता शुरु की थी, बाद में वो एक लेखक भी बन गए थे। इन्होने बड़ी-बड़ी हस्तियों से संबंध बनाना शुरु कर दिया और अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर अपने पिता को एक देशभक्त, दूरद्रष्टा और निर्माता साबित करने की भरसक कोशिश की। 
  • आज दिल्ली के कनॉट प्लेस/Connaught Place के पास बाराखंबा रोड पर जिस स्कूल को मॉडर्न स्कूल कहते हैं, वह शोभा सिंह की जमीन पर ही है और उसे "शोभा सिंह स्कूल/Shobha Singh School" के नाम से जाना जाता था।
  • खुशवंत सिंह ने खुद को इतिहासकार भी साबित करने की भी कोशिश की और कई घटनाओं की अपने ढंग से व्याख्या भी की है।
  • खुशवंत सिंह ने खुद भी माना है कि उनके पिता शोभा सिंह 8 अप्रैल 1929 को उस वक्त सेंट्रल असेंबली मे मौजूद थे जहां भगत सिंह और उनके साथियों ने धुएं वाला बम फेंका था।
  • बकौल खुशवंत सिह, बाद में शोभा सिंह ने यह गवाही दी, शोभा सिंह 1978 तक जिंदा रहा और दिल्ली की हर छोटे बड़े आयोजन में वह बाकायदा आमंत्रित अतिथि की हैसियत से जाता था। हालांकि उसको कई जगह पर अपमानित भी होना पड़ा लेकिन उसने या उसके परिवार ने कभी इसकी फिक्र नहीं की।
  • खुशवंत सिंह का ट्रस्ट हर साल शोभा सिंह मेमोरियल लेक्चर का आयोजन भी करवाता है जिसमे बड़े-बड़े नेता और लेखक अपने विचार रखने आते हैं, और बहुत से लोग ऐसे आते हैं जो बिना शोभा सिंह की असलियत जाने (य़ा फिर जानबूझ कर अनजाने में ) उस गद्दार की तस्वीर पर फूल माला चढ़ा देते हैं। 

नोट : जानकारी इंटरनेट पर मिले तथ्यों पर आधारित है। हम इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करते। 

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