आधुनिक जीवनशैली के अनुसार आज हमारा जीवन इतना कम्प्युटरमय हो चूका है कि, हमारे शरीर के किसी हिस्से पर सबसे ज्यादा दबाव होता है तो वो हैं आँखें। आँखों के द्वारा कंप्यूटर को देखना किन्ही अन्य चीजों को देखने के समान नहीं होता, इसका असर अन्य चीजों की बजाय आपकी आँखों पर बहुत ज्यादा होता है, क्यूंकि इन पर आपकी आँखें एक ही जगह पर ज्यादा देर तक स्थिर रहती है। कंप्यूटर पर काम करना किताब पढ़ने या टाइपराइटर से टाइप करने जैसा काम नहीं है। कंप्यूटर/लैपटॉप या मोबाइल स्क्रीन पर लिखें लेख को पढ़ना आपकी आँखों को शुष्क कर देता है। कंप्यूटर/लैपटॉप या मोबाइल की स्क्रीन रौशनी की किरणे छोड़ती हैं, और आपकी आँखें इनके बहुत ही नजदीक होती है जिसके करना ये आपकी आँखों पर काफी ज्यादा प्रभाव डालती हैं।
कंप्यूटर से क्या असर पड़ता हैं आँखों पर? What effect does the computer have on the eyes?
कंप्यूटर का इस्तेमाल करते वक़्त हमारी आंखों को लगातार कर्सर से कुछ बिंदुओं का पीछा करना पड़ता है, आँखों को अनवरत इन इन बिंदुओं के साथ तालमेल बनाये रखना पड़ता है, ताकि हम स्क्रीन पर किये जाने वाले काम पर नज़र रख सकें, और इस पर ज्यादा काम करने का नतीजा ये होता है कि हमारी आंखें घूम-घूमकर थक जाती है, और आँखों में विकार पैदा होने की सम्भावना बढ़ जाती है। इसके पीछे एक कारण भी होता है, कम्प्यूटर या किसी भी डिजिटल स्क्रीन के आसपास एक प्रकार का Static Electric Charge पैदा होता है, जो आस-पास के धूल कणों को अपनी और खींचता है, ये धूल कण भी आपकी आखों को प्रभावित कर सकते हैं, जिसके कारण आपकी आँखों में दर्द होता है, आंखें सूखी-सूखी सी लगती हैं, आंखों में खुजली होती है, एलर्जी हो जाती है, आपकी आँखें हमेशा थकी हुई सी रहती हैं, बहुत तेज सर दर्द होता है, नींद में बहुत कमी आ जाती है, हमेशा बेचैनी सी रहती है, आपके कंधे दर्द करने लग जाते हैं, आदमी का स्वभाव चिड़चिड़ा सा हो जाता है। कहने का मतलब ये है कि कंप्यूटर/लैपटॉप या मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से आँखों के साथ शरीर के हर हिस्से पर इसका अप्रत्यासित रूप से बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
आजकल के बच्चे जो ज्यादा कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं उनका चिड़चिड़ा होना, लड़ाकू होना, किसी की बात को बर्दाश्त न करना इत्यादि लक्षण भी Computer Vision Syndrome/कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के कारण ही होते हैं। बच्चों में तो ये आँखों के तनाव के लक्षण और भी ज्यादा बुरा असर डाल सकते हैं। बच्चों की आँखें कंप्यूटर की मद्धम/DIM रोशनी की ऐसी आदी हो जाती हैं, कि बच्चे को फिर सूर्य की रोशनी ही नहीं भाती, और बच्चा बचने के लिए बाहर ही नहीं निकलना चाहता। इसका असर उसके सामाजिक जीवन पर भी पड़ता है, उसके दोस्त कम हो जाते हैं, क्यूंकि जब बच्चा बाहर नहीं खेलने जायेगा तो नए दोस्त कहाँ से बनेंगे? आंखों के निरंतर तनाव से बच्चा इस कदर थक सकता है, कि उसकी खाने-पिने में रूचि बहुत ही कम हो जाती है, इसलिए अपने बच्चे की आँखों की देखभाल के साथ उनको Computer इत्यादि पर बहुत कम समय के लिए बैठने दे।
यहाँ मैं आपसे ये तो नहीं कहूंगा की आप कंप्यूटर को बिलकुल ही छोड़ दें, हो सकता है कि आपका काम ही कंप्यूटर पर आधारित हो, इसलिए आपके लिए कंप्यूटर को छोड़ना तो मुश्किल हो सकता है, हाँ पर इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। हम निचे इसके प्रभावों से बचने के लिए कुछ उपाय बता रहे हैं, जिनके कारण आपकी आँखें ज्यादा सुरक्षित रह सकती हैं।
- कंप्यूटर स्क्रीन को अपनी आंखों के लेवल से छ: से आठ इंच तक नीचे रखें।
- कंप्यूटर स्क्रीन को अपनी आंखों से कम से कम बीस इंच की दूरी पर रखकर काम करें।
- कभी भी कंप्यूटर पर काम न करें, हर आधे घंटे के बाद आपको दो-चार मिनट का विश्राम अवश्य करना चाहिए।
- कंप्यूटर स्क्रीन की रौशनी ज्यादा न रखें, जितनी ज्यादा इसकी रौशनी होगी आपकी आँखों पर उतना ही ज्यादा असर डालेंगी।
- अगर आप मॉनिटर यूज़ करते हैं तो उसके आगे Anti Glare Glass जरूर लगाकर काम करें। चमकदार रोशनी में कंप्यूटर पर काम करना नेत्र तनाव पैदा करता है।
- आँखों पर होने वाले दुष्प्रभाव से बचने के लिए आपको Anti Glare चश्मे का इस्तेमाल करना चाहिए।
- आँखों के बचाव के लिए Convergence Exercise जरूर करनी चाहिए। यह व्यायाम विशेष तौर पर मायोपिक चश्मा लगाने वाले तो जरूर करें।
- अगर आप किसी लिखित दस्तावेज के साथ कंप्यूटर पर काम कर रहे हों तो, दस्तावेज को भी कंप्यूटर स्क्रीन के लेवल पर ही रखकर काम करें। अगर दोनों के लेवल अलग-अलग होंगे तो आंखों को बार-बार दस्तावेज तथा स्क्रीन के बीच घुमाना होगा, जो आँखों में बहुत ज्यादा तनाव पैदा कर सकता है।
- आँखों को समय-समय पर नेत्र विशेषज्ञ को जरूर दिखाना चाहिए, आँखें सुखी लगने पर इनमें Eye Drops जरूर डालें। इसके लिए आप ITONE Eye Drops का इस्तेमाल कर।
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