- संसद का अधिवेशन बुलाना – संसद के दोनों सदनों में किसी विधेयक के ऊपर विवाद होने के कारण राष्ट्रपति दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुलाता है, और हर साल संसद के पहले अधिवेशन में दोनों सदनों को सम्बोधित करता है।
- अध्यादेश जारी करना – यदि किसी स्थिति की वजह से संसद नहीं चल रही हो, और तत्काल कानून की आवश्यकता हो तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है। यह अध्यादेश संसद द्वारा बनाए गए कानून के समान होता है। संसद का अधिवेशन शुरू होने के बाद यह अध्यादेश 6 महीने 6 सप्ताह तक प्रभावी रह सकता है। यदि संसद चाहे तो इन्हें स्थायी कानून भी बना सकती है, तथा इस अध्यादेश को अवधि से पूर्व समाप्त भी कर सकती है। 6 माह की अवधि के बाद यह अध्यादेश स्वतः समाप्त हो जाते है।
- राजयसभा सदस्यों को मनोनीत करना – राष्ट्रपति को राज्यसभा में ऐसे 12 सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार है, जिन्होंने कला, साहित्य, विज्ञान, आदि के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया हो राष्ट्रपति लोकसभा में दो एंग्लो इण्डियन समुदाय के लोगो को भी मनोनीत कर सकता है। ये तभी कर सकते हैं यदि किसी समुदाय के लोगो को लोकसभा में प्रयाप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं हुआ है।
- सेना सम्बन्धी विशेष शक्तियाँ – भारत का राष्ट्रपति जल, थल, और वायु तीनो सेनाओ का सर्वोच्च सेनापति होता है, राष्ट्रपति ही विशेष परिस्थितियों में युद्ध तथा शांति की घोषणा करता है।
- प्रमुख पदाधिकारियों की नियुक्ति करना – राष्ट्रपति भारत के सभी महत्वपूर्ण अधिकारियो जैसे बहुमत प्राप्त दल के नेता को प्रधानमंत्री, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायधीशो, संघ लोक सेवा के अध्यक्ष और सदस्यों, प्रदेशो के राज्यपाल, विदेशो में भारत के राजदूतो, महान्यायवादी, नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक, मुख्य चुनाव आयुक्त और मंत्रिपरिषद के सदस्यों की नियुक्तियां भी राष्ट्रपति ही करता है।
- न्यायिक शक्तियाँ – सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के जजों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यदि किसी व्यक्ति को अदालत से सजा हो गयी हो तो वह व्यक्ति क्षमादान, सजा को कम करने या उसमें परिवर्तन करने के लिए राष्ट्रपति से अपील कर सकता है। राष्ट्रपति मृत्युदण्ड प्राप्त अपराधी को क्षमादान भी दे सकता है।
- प्रदेशो के शासन पर नियन्त्रण – राष्ट्रपति प्रदेशो के शासन को भी देखता है। वह देखता है की उनका शासन संविधान के अनुसार संचालित हो यदि किसी प्रदेश में शासन तन्त्र विफल हो जाता है तो वह राज्यपाल द्वारा रिपोर्ट मँगवाकर वहां राष्ट्रपति शासन की घोषणा कर सकता है।
- वित्तीय अधिकार – बजट को संसद के समक्ष प्रस्तुत करवाने का कार्य राष्ट्रपति ही करता है। केंद्र तथा प्रदेशो के मध्य आय के विवरण का अधिकार भी राष्ट्रपति को ही होता है। राष्ट्रपति सरकार को ज़रूरत पड़ने पर संसद से मंज़ूर किये बिना आकस्मिक निधि से धन दे सकता है। लोकसभा में वित्त विधेयक राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बिना पेश नहीं किये जा सकते है।
- संकटकालीन शक्तियाँ – युद्ध, आक्रमण या आन्तरिक सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में संविधान के अनुच्छेद-352 के तहत राष्ट्रपति देश में राष्ट्रपति शासन की घोषणा कर सकता है। यदि प्रदेशो में संवेधानिक तन्त्र विफल हो जाता है तो राष्ट्रपति अनुच्छेद-356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागु कर सकता है। यदि राष्ट्र में कोई ऐसा वित्तीय संकट आ खड़ा हो तो राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद-360 के तहत राष्ट्रपति शासन लागु कर सकता है।
- कानून सम्बन्धी शक्तियाँ – संसद द्वारा बनाए गए कोई भी विधेयक कानून का रूप नहीं ले सकता जब तक राष्ट्रपति उसे अपनी मंज़ूरी नहीं दे देता। राष्ट्रपति साधारण विधेयक को अस्वीकार या अपने सुझावों के साथ बिल को वापिस संसद को विचार के लिए लौटा सकता है। यदि संसद बिना कोई परिवर्तन करे या राष्ट्रपति के सुझावों को मान कर दुबारा राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजती है, तो तब राष्ट्रपति को मंज़ूरी देनी ही होती है।
Thursday, March 7, 2019
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राष्ट्रपति के कर्तव्य और शक्तियां कोन-कोनसे हैं? What are the duty and powers of president.
राष्ट्रपति के कर्तव्य और शक्तियां कोन-कोनसे हैं? What are the duty and powers of president.
दोस्तों आपका हमारे वेब पोर्टल पर बहुत स्वागत है, आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे हमारे देश के राष्ट्रपति की शक्तियों और उनके कार्यों के बारे में। भारतीय संविधान के अनुच्छेद-53 के अनुसार भारत में संघीय कार्यपालिका का प्रधान राष्ट्रपति होता है, तथा कार्यपालिका की सभी शक्तियां उनके हाथों में होती हैं। राष्ट्रपति संघ की कार्यपालिका का औपचारिक प्रधान है अतः संघीय कार्यपालिका के सारे कार्य राष्ट्रपति के नाम से ही किए जाते हैं।
राष्ट्रपति के कार्य तथा शक्तियाँ
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