CAB/Citizen Amendment Bill यानि "नागरिकता संशोधन विधेयक" जिसे लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और मुहर लग जाने के बाद अब नागरिकता संशोधन विधेयक कानून बन जाएगा। भारतीय संसद ने बुधवार दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक/बिल को मंजूरी दे दी जिसके अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के, कारण भारत आए हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। राज्यसभा ने बुधवार को विस्तृत बहस के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया। सदन ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव और इसमें किये जाने वाले संशोधनों को खारिज कर दिया। नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इस विधेयक/बिल के खिलाफ मतदान किया। यहाँ आपको ये भी बता दें कि लोकसभा में इस विधेयक को पहले ही पारित किया जा चूका है।
नागरिकता संशोधन विधेयक/बिल में क्या है प्रस्ताव!
नागरिकता संशोधन विधेयक साल 2016 में 19 जुलाई को लोकसभा में पेश किया गया था। इसे 12 अगस्त 2016 को "संयुक्त संसदीय समिति" को सौंप दिया गया था। इस समिति ने इसी साल जनवरी 2019 में इस पर अपनी रिपोर्ट दी थी। इसके बाद 9 दिसंबर 2019 को इस विधेयक को दोबारा से लोकसभा में पेश किया गया, जहां देर रात बाद यह ध्वनिमत से पारित हो गया।
उसके दो दिन बाद 11 दिसंबर 2019 को यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया और वहां भी बहुमत से पारित हो गया। चूँकि यह विधेयक संसद से पारित हो गया है तो अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और भारतीय राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के सभी गैरकानूनी प्रवासी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारतीय नागरिकता के पाने के लिए योग्य हो जाएंगे।
साथ ही इन तीन अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के सभी छह धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता पाने के नियम में भी छूट दी जाएगी। ऐसे सभी प्रवासी जो छह साल से भारत में रह रहे होंगे, उन्हें यहां की नागरिकता मिल सकेगी।
आइये जानते हैं इस बिल से जुड़ी कुछ खास बाते :-
- नागरिक संशोधन बिल के क़ानूनी रूप लेने से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले सभी लोगों को CAB के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी।
- वो अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, वो सभी भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन कर पाएंगे।
- मौजूदा गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक सदा से थे, हैं और सदा बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि उन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी में खासी कमी आयी है। अमित शाह ने कहा कि विधेयक/बिल में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों/Minority को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। उन्होंने इस विधेयक के मकसदों को लेकर वोट बैंक की राजनीति के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए देश को आश्वस्त किया कि यह प्रस्तावित कानून बंगाल सहित पूरे भारतवर्ष में लागू होगा। उन्होंने इस विधेयक के संविधान विरूद्ध होने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि संसद को इस प्रकार का कानून बनाने का अधिकार स्वयं भारतीत संविधान में दिया गया है। साथ ही उन्होंने यह भी उम्मीद जतायी कि यह प्रस्तावित कानून न्यायालय में न्यायिक समीक्षा में उचित ठहराया जाएगा। अमित शाह ने कहा कि मुस्लिमों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वे भारत के नागरिक हैं और सदा बने रहेंगे।
- फ़िलहाल भारतीय नागरिकता लेने के लिए किसी भी बाहरी व्यक्ति का 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है। इस नए बिल में प्रावधान है कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक अगर पांच साल भी भारत में रहे हों तो उन्हें भारतीय नागरिकता दी जा सकती है।
- ओसीआई/OCI/Overseas Citizen of India कार्डधारक यदि शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार केंद्र को रहेगा। साथ ही उन पर सुनवाई भी होगी।
- इस विधेयक में यह भी व्यवस्था की गयी है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी।
- भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किये जाने के पीछे ये कारण है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है।
- नागरिकता संशोधन बिल/CAB/Citizen Amendment Bill 2019 के चलते जो विरोध की आवाज उठी उसकी वजह ये है कि इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। कांग्रेस समेत कई पार्टियां इसी आधार पर बिल का विरोध कर रही हैं।
- इस बिल का समर्थन इन पार्टियों ने किया है :- भाजपा, अन्नाद्रमुक, बीजद, जदयू , अकाली, मनोनीत, अन्य।
- इस बिल का विरोध इन पार्टियों ने किया है :- कांग्रेस, टीएमसी, सपा, राजद, एनसीपी, माकपा, टीआरएस, डीएमके, बसपा, आप के अलावा मुस्लिम लीग, भाकपा और जेडीएस इत्यादि हैं। इस बिल को पास होने पर बोलीं सोनिया गांधी ने इसे संवैधानिक इतिहास का काला दिन बताया है।
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