वैसे तो कंप्यूटर का विकास 16 वीं शताब्दी से माना गया है जिसके परिणामस्वरुप ही आधनिक कंप्यूटर का विकास हुआ। हालांकि, इसके बाद कंप्यूटर के विकास में तेज़ी से बदलाव आया। प्रत्येक पीढ़ी के बाद, कंप्यूटर के आकार-प्रकार, कार्यप्रणाली और कार्यशीलता में बहुत बदलाव हुआ है और वो लगातार हो भी रहा है। वर्तमान के कंप्यूटर काफी आधुनिक और विकसित है। इसी क्रम-विकास की अवधि के दौरान, कंप्यूटर में बहुत सारे परिवर्तन आये जिसने कंप्यूटरों की नई पीढीयों को जन्म दिया। इसमें विभिन्न प्रकार के कंप्यूटर का आविष्कार हुआ जिसे हम जनरेशन ऑफ कंप्यूटर/Generation of Computer/ कंप्यूटर की पीढ़ियां के रूप में जानते है। इन पीढ़ियों को समय के अनुसार पांच अलग-अलग चरणों में विभाजित किया गया है, जिनका विवरण हम निचे दे रहे हैं।
कम्प्यूटर की पीढियाँ (Generation of Computer in Hindi)
- फर्स्ट जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1940 – 1956) पहली पीढ़ी
- सेकंड जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1956 – 1963) दूसरी पीढ़ी
- थर्ड जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1964 – 1971) तीसरी पीढ़ी
- फोर्थ जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1971 – 1980) चौथी पीढ़ी
- फिफ्थ जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1980 और भविष्य) पांचवी पीढ़ी
फर्स्ट जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1940 – 1956) पहली पीढ़ी
फर्स्ट जनरेशन की समय अवधि 1940-1956 थी, जो "वैक्यूम ट्यूब/Vacuum Tube" टेक्नोलॉजी पर आधारित थी।
पहले पीढ़ी के कंप्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया गया था। वैक्यूम ट्यूब एक नाजुक कांच का यंत्र होता था जो फिलामेंट्स का इस्तेमाल Electron Source के रूप में करता था। यह इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को नियंत्रित कर घटा और बढ़ा सकता था। इन वैक्यूम/Vacuum ट्यूबों का उपयोग गणनाओं के साथ-साथ डाटा भंडारण और नियंत्रण के लिए भी किया जाता था। पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर (इलेक्ट्रॉनिक नुमेरिकल इन्तेग्रटर और कंप्यूटर) यानी ENIAC था, इसे जे. प्रेस्पेर एच्केर्ट और जॉन वी ने बनाया था।
पहले पीढ़ी/फर्स्ट जनरेशन के कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े और भारी होते थे, जिनको रखने के लिए बहुत ही बड़े कमरे की आवश्यकता होती थी। ये कंप्यूटर बड़ी मात्रा में गर्मी पैदा करते थे, इसलिए कंप्यूटर के उचित रख-रखाव और काम लेने के लिए एयर कंडीशन की आवश्यक होती थी। इसके प्रोग्राम्स उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग/High Level Programming Language यानी भाषाओं में लिखे जाते थे, जो एक कंपाइलर द्वारा असेंबली भाषा या मशीन की भाषा में अनुवादीत/translate किये जाते थे। यह कंप्यूटर यानी ENIAC 30 से 50 फीट लंबा था, 30 टन वजन, 18,000 वैक्यूम ट्यूब, 70,000 रजिस्टरों, 10,000 कैपेसिटर्स से चलता था और इसके लिए 150,000 वाट बिजली की जरूरत होती थी।
असेंबली भाषा प्रोग्राम एक असेम्बलर के द्वारा (असेंबली भाषा कंपाइलर) मशीनी भाषा में पुन: वितरित किया जाता था। ENIAC कंप्यूटर के समाप्त होने से पहले, "वॉन न्यूमैन" ने एक स्वचालित/Automatic कंप्यूटर EDVAV को डिज़ाइन किया।
EDVAV/इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वेरिएबल आटोमेटिक कंप्यूटर, इसमें प्रोग्राम्स के साथ-साथ चल रहा डाटा भी मेमोरी में रिकॉर्ड होता था। इस कंप्यूटर में डेटा और निर्देश दोनों बहुत तेजी से प्रोसेस होते थे। सन 1952 में "एच्केर्ट" और "मौच्ली" ने पहला वाणिज्यिक कंप्यूटर "यूनिवर्सल ऑटोमैटिक कम्प्यूटर/UNIVAC" विकसित किया था।
पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर में इन्टरनल/आंतरिक मेमोरी के रुप में मेग्नेटिक/चुंबकीय ड्रम का उपयोग किया जाता था। इस जनरेशन में प्रोग्रामिंग, मशीन और असेम्बली लैंग्वेज/Programming in Machine and Assembly Language में की जाती थी। किसी भी कंप्यूटर की मशीन लेंग्वेज केवल 0 और 1 कोड पर आधारित होती हैं।
सेकंड जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1956 – 1963) दूसरी पीढ़ी
सेकंड जनरेशन ऑफ कंप्यूटर/Second Generation of Computer इसकी समय अवधि 1956-1963 थी, जो "ट्रांजिस्टर/Transistor" टेक्नोलॉजी पर आधारित थी। सेकंड जनरेशन यानी दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में, वैक्यूम ट्यूब की जगह ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया गया था। इसका विकास "विलियम शोक्क्ली" ने 1947 में किया था। इसके ही कंप्यूटर का साइज छोटा होने लगा था और कंप्यूटर की गति भी तेज होने लगी थी, साथ ही ये कंप्यूटर पहले की तुलना में कम बिजली से चलने लगे थे। इन कंप्यूटरों पर प्रोग्रामिंग करना संभव था तथा इस चरण के दौरान कंप्यूटर का प्रयोग मुख्यतः परमाणु ऊर्जा उद्योग में उपयोग किया जाने लगा था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में मेमोरी के तौर पर चुम्बकीय टेप/Magnetic Tape का प्रयोग किया जाता था।
थर्ड जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1964 – 1971) तीसरी पीढ़ी
थर्ड जनरेशन ऑफ कंप्यूटर/Third Generation of Computer इसकी समय अवधि 1964-1971 थी, जो "एकीकृत परिपथ/इंटीग्रेटेड सर्किट/Integrated Circuit/IC" टेक्नोलॉजी पर आधारित थी। यही वो समय था जब कंप्यूटर में I.C. का इस्तेमाल किया गया था। ट्रांट्रांज़िस्टरों का साइज भी बहुत छोटा कर दिया गया और उन्हें सिलिकॉन चिप पर रखा गया। इन सिलिकॉन चिप को अर्धचालक/Semiconductors कहते हैं। तीसरी पीढ़ी के विकास ने कंप्यूटर की गति और भी बढ़ा दी थी क्योंकि एक IC में ट्राजिस्टर, रेजिस्टर और कैपेसिटर तीनों ही समाहित कर दिए गए थे। इससे कम्प्यूटर का आकार भी अत्यंत छोटा हो गया था और इसका प्रयोग भी सरल हो गया था। तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में एक ही समय में कई अलग-अलग कार्यक्रम चल सकते थे यही वो समय था जब कंप्यूटर आम आदमी की पहुंच के भीतर आ गया था। स्केल इंटीग्रेटेड सर्किट के कारण इन कंम्यूटरों की गति माइक्रो सेकंड से नेनो सेकंड तक हो गयी।
तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में ऑपरेटिंग सिस्टम/Operating System का प्रयोग किया जाने लगा था, साथ ही बहुत सारी नई-नई हाई लेवल लैंग्वेज/High Level Language का विकास भी हुआ जैसे की -BASIC/Beginner’s All Purpose Symbolic Instruction Code. आई सी के कारण कंप्यूटर ओर ज्यादा तेज हो गया था तथा इसके आंतरिक कार्य भी स्वचालित/Automatic हो गये।
फोर्थ जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1971 – 1980) चौथी पीढ़ी
फोर्थ जनरेशन ऑफ कंप्यूटर/Fourth Generation of Computer इसकी समय अवधि 1971-1980 थी, जो की "VLSI माइक्रोप्रोसेसर/VLSI Microprocessor" टेक्नोलॉजी पर आधारित थी। कंप्यूटर के क्षेत्र में सबसे बड़ी क्रांति इस पीढ़ी को माना जाता है। कंप्यूटर का उपयोग अब हम सभी PC/पर्सनल कंप्यूटर के रूप में भी करने लगे है। चौथी पीढ़ी के कंप्यूटरों में, पहली बार माइक्रोप्रोसेसर का इस्तेमाल किया गया था। ये कंप्यूटर बहुत ज्यादा उपयोग हुआ हैं। इस जनरेशन में माइक्रोप्रोसेसर चिप्स विकसित किए गए थे। अंकगणित संचालन के लिए 0 और 1 को कोडित किया गया था। ये बाइनरी संख्या के रूप में जाना जाता है इस पीढ़ी के कुछ कंप्यूटर बहुत छोटे हैं वे हाथ की हथेली में फिट हो सकते हैं इन कंप्यूटरों को तेज छोटे से छोटा, गति तेज और सस्ते बनाया गया और व्यापक रूप से उपयोग किया जाता रहा है। इस पीढ़ी के दौरान माउस और अन्य पेरिफेरल डिवाइस, जैसे जॉयस्टिक इत्यादि को विकसित किया गया था। इसकी पीढ़ी के दौरान इंटरनेट का विकास भी बहुत ज्यादा हुआ जिसके कारण आज पूरी दुनिया आपस में एक दूसरे के साथ जानकारी साझा कर सकती है। इसी दौरान उच्च गति वाले नेटवर्क का विकास हुआ जिन्हें आप लैन/LAN/local area networkऔर वैन/WAN/wide area network के नाम से जानते हैं।
एक छोटी सी चिप में लाखो ट्रांजिस्टरों को समाहित कर एक माइक्रोप्रोसेसर का निर्माण इसी अवधि में किया गया था जिसे Large Scale Integrated Circuit के नाम दिया गया। पहला माइक्रो कम्प्यूटर MITS नाम की प्रसिद्ध कंपनी ने बनाया था।आज दुनिया में दो बड़ी माइक्रोप्रोसेसर बनाने वाली कंपनिया Intel और AMD है।
ऑपरेटिंग सिस्टम MS DOS/ माइक्रोसॉफ्ट डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम का पहली बार इस्तेमाल इसी पीढ़ी में हुआ इसके साथ ही कुछ समय बाद माइक्रोसॉफ्ट विंडोज भी कंप्यूटरों में आने लगी।माइक्रोसॉफ्ट विंडोज/Microsoft Windows आने के बाद से ही मल्टीमीडिया का प्रचलन प्रारम्भ हुआ। इसी अवधि में C भाषा का विकास हुआ, जिससे प्रोग्रामिंग करना और सरल हो गया।
फिफ्थ जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (1980 और भविष्य) पांचवी पीढ़ी
फिफ्थ जनरेशन ऑफ कंप्यूटर/Fifth Generation of Computer इसकी समय अवधि 1980 से आज तक है या भविष्य तक चल सकती है। ये पीढ़ी पूरी तरह ULSI माइक्रोप्रोसेसर/ULSI Microprocessor टेक्नोलॉजी पर आधारित है। ULSI तकनीक यानी Ultra Large Scale Integration तकनीक पर आधारित है। हम कंप्यूटर की पांचवीं पीढ़ी में काम कर रहे है जिसपर अभी काम चल रहा है। यह अभी तक यह स्पष्ट नहीं है की पाचवी पीढ़ी किस दिशा में जाएगी क्यूंकि आये दिन कंप्यूटर जगत में एक नया आविष्कार हमारे सामने आ रहा है। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में स्वयं सोचने की क्षमता पैदा की जा रही है अर्थात इस जनरेशन के कम्प्यूटर्स में कृत्रिम बुद्धि यानी Artificial Intelligence क्षमता विकसित की जा रही है। आज के कम्प्यूटर को हर क्षेत्र में कार्य करने योग्य बनाया जा रहा है और कुछ हद तक हम इसमें सफल भी हो चुके हैं। उदाहरण के लिये विंडोज कोर्टाना/Windows Cortana, गूगल असिस्टेंट/Google Assistant, एप्पल सीरी/Apple Siri इत्यादि को आप देख ही रहे हैं, कंप्यूटर के लिए ऐसे सॉफ्टवेयर विकसित कर लिए गए हैं जिनको हम कुछ भी पूछ सकते हैं और वाद-विवाद भी कर सकते हैं।
इस पीढ़ी के कंप्यूटर में हाई लेविल प्रोग्रामिंग भाषा का प्रयोग किया जा रहा है। GUI/Graphical User Interface की सहायता से इसे और अधिक सरल बनाया जा रहा है। ये कंप्यूटर किसी समस्या के हल करने के लिए इन्टरनेट का इस्तेमाल करते है क्योंकि ये नेटवर्को के माध्यम से जुड़े होते है। कुछ कंप्यूटर्स को तो मनुष्य की तरह व्यव्हार तथा सभी काम खुद से करने के लिए डिजाईन किया जा रहे है जिन्हें रोबोट कहाँ जाता है। आजकल मेडिकल और रक्षा उपकरणों में इस तरह के रोबोट कंप्यूटर बहुतायत में प्रयोग किये जा रहे हैं, और आने वाले समय में सम्पूर्ण रूप से यही काम करेंगे।
दोस्तों अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकरी अच्छी लगी तो, इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक Share करे तथा इस आर्टिकल संबंधी अगर किसी का कोई भी सुझाव या सवाल है तो वो हमें जरूर लिखें।
No comments:
Post a Comment